मिश्रा जी उतर कर एक दो होटल पूछकर आये जिन्होने महंगा बताया । इसी बीच एक दलाल चिपक गया हमसे । बोला यहीं पास में ही है गेस्ट हाउस और हमारी बा...
मिश्रा जी उतर कर एक दो होटल पूछकर आये जिन्होने महंगा बताया । इसी बीच एक दलाल चिपक गया हमसे । बोला यहीं पास में ही है गेस्ट हाउस और हमारी बाइक पर सवार हो गया । तीन बंदे और इतना सामान मैने कहा भी कि पुलिस वाले पकड लेंगें तो वो बोला कि कुछ नही कहेंगें हम साथ हैं आपके । वो एक गेस्ट हाउस में ले गया तो वहां जाकर पता चला कि अभी सब रूम भर गये । इसके बाद वो मेन चौराहे को पार करके ले गया कि आपको हाउसबोट मे कमरा दिलाउंगा 500 रूपये में । डल लेक के डल गेट को पार करके जो नदी है उसमे जो पुरानी बोट खडी हैं उनके पास जाते ही मेरा दिमाग ठनक गया । बाइक कहां खडी होगी बोला पार्किंग में होगी और हाउसबोट में 500 रूपये । बाइक दूर खडी होगी ये सोचकर मैने मना कर दिया और उसे भी हाथ जोड लिये कि अब तू जा मै खुद कमरा देखूंगा ।
मै कई साल पहले डल गेट के दूसरी साइड में रूका था । मै बाइक वहीं पर ले गया और यहां पर भी एक दलाल मिल गया । हमने बताय कि हमें तो कमरा 500 या उससे नीचे चाहिये तो उसने बोला कि एक नया होटल है उसमें दिला देता हूं । वो हमें सोना होटल और राज पैलेस के बीच बने एक नये मकान में ले गया जिसमें नीचे चार कमरे अभी बने थे । कमरा तो बढिया था और बाइक भी यहीं कमरे के सामने ही खडी थी पर कमरे में पानी की परेशानी लग रही थी ।
एक दो बार मिश्रा जी ने पानी चलाकर देखा तो पानी नही आया । जो बंदा कमरा दिलाने वाला था उसने बोला कि आजकल पानी की परेशानी है यहां पर और टैंकर से पानी भरवाना पडता है । सुबह 3 बजे पानी आता है और सुबह 6 बजे मैने आप लोगो को गरम पानी नहाने को ना दिया तो आप पैसे मत देना । अभी के लिये क्या होगा ये पूछने पर उसने दो बाल्टी पानी ला दिया टायलेट को और थोडा गरम पानी मुंह हाथ धोने को । यहां पर मिश्रा जी अड गये कि उन्हे कपडे धोने हैं । आज उन्होने लाइट कलर की शर्ट पहनी थी और वो भी उधमपुर से श्रीनगर के रास्ते में जहां पर कई जगह धूल बहुत थी ।
शर्ट गंदी हो गयी और कल वाली तो हो ही चुकी थी । मैने वही कपडे पहने थे जो कल पहने थे क्योंकि इतने कपडे तो नही हैं कि रोज बदलें । कमरे में बाथरूम पर बोर्ड भी लगा था कि कपडे धोना सख्त मना है और हमें सुबह सवेरे 6 बजे तक निकलना है । अगर मिश्रा जी अब कपडे धो भी लें तो सुबह कैसे सुखायेंगें । आज जो उन्होने तौलिया गीला किया था अपना नहाने में हल्का सा उसे भी हाथ में लेकर थोडे बैठे थे । शाम तक भी वो सही से सूखा नही था । ये बात मै आपको विस्तार में इसलिये बता रहा हूं कि मैने थोडा अनुभव होने के नाते मिश्रा जी को ये बोल दिया कि मिश्रा जी कपडे मत धोओ आगे कहीं जब कम से कम दो रात रूकने का प्लान होगा तब धो लेना । बस मिश्रा जी भडक गये कि मेरी बात कोई नही मानी जायेगी । जब सुविधा है तो उसका फायदा क्यों ना उठाया जाये वगैरा वगैरा ।
बुरा तो लगा पर पहली बार नही था । ग्रुप में या किसी के साथ आपको कुछ अपना बर्दाश्त करवाना पडता है तो कुछ साथी का करना पडता है । कुछ आज बाइक ना चलाने देने का भी फ्रस्टेशन हो सकता था पर कुल मिलाकर मैने टापिक चेंज कराकर मिश्रा जी को कहा कि चलो बाहर खाना खाने नही तो सब बंद हो जायेगा । बाहर निकले तो सामने ही कई ढाबे थे जिनमें से एक पर थाली के हिसाब से खाना खाया गया । खाना खाने के बाद मिश्रा जी बोले कि डल झील दिखा लाओ । हम डलगेट की तरफ पैदल ही निकल लिये और रास्ते में कई दुकान पर पन्नी के लिये पूछा पर नही मिली । डल गेट के पास एक दुकान मिली जिसमें हमें हमारी जरूरत के सारे सामान एक साथ ही मिल गये । बंदा दुकान बंद करके जा रहा था । हमने यहां से एक चाकू , 5 मीटर पन्नी सौ रूपये की , एक रस्सी प्लास्टिक की और एक सुतली एक सेफटी पिन जैसा सामान सौ रूपये का ये सब खरीद लिया । दो तीन प्लास्टिक के बडे थैले मोंगे तो उसने खाली कटटे पकडा दिये ऐसे ही फ्री में ।
शर्ट गंदी हो गयी और कल वाली तो हो ही चुकी थी । मैने वही कपडे पहने थे जो कल पहने थे क्योंकि इतने कपडे तो नही हैं कि रोज बदलें । कमरे में बाथरूम पर बोर्ड भी लगा था कि कपडे धोना सख्त मना है और हमें सुबह सवेरे 6 बजे तक निकलना है । अगर मिश्रा जी अब कपडे धो भी लें तो सुबह कैसे सुखायेंगें । आज जो उन्होने तौलिया गीला किया था अपना नहाने में हल्का सा उसे भी हाथ में लेकर थोडे बैठे थे । शाम तक भी वो सही से सूखा नही था । ये बात मै आपको विस्तार में इसलिये बता रहा हूं कि मैने थोडा अनुभव होने के नाते मिश्रा जी को ये बोल दिया कि मिश्रा जी कपडे मत धोओ आगे कहीं जब कम से कम दो रात रूकने का प्लान होगा तब धो लेना । बस मिश्रा जी भडक गये कि मेरी बात कोई नही मानी जायेगी । जब सुविधा है तो उसका फायदा क्यों ना उठाया जाये वगैरा वगैरा ।
बुरा तो लगा पर पहली बार नही था । ग्रुप में या किसी के साथ आपको कुछ अपना बर्दाश्त करवाना पडता है तो कुछ साथी का करना पडता है । कुछ आज बाइक ना चलाने देने का भी फ्रस्टेशन हो सकता था पर कुल मिलाकर मैने टापिक चेंज कराकर मिश्रा जी को कहा कि चलो बाहर खाना खाने नही तो सब बंद हो जायेगा । बाहर निकले तो सामने ही कई ढाबे थे जिनमें से एक पर थाली के हिसाब से खाना खाया गया । खाना खाने के बाद मिश्रा जी बोले कि डल झील दिखा लाओ । हम डलगेट की तरफ पैदल ही निकल लिये और रास्ते में कई दुकान पर पन्नी के लिये पूछा पर नही मिली । डल गेट के पास एक दुकान मिली जिसमें हमें हमारी जरूरत के सारे सामान एक साथ ही मिल गये । बंदा दुकान बंद करके जा रहा था । हमने यहां से एक चाकू , 5 मीटर पन्नी सौ रूपये की , एक रस्सी प्लास्टिक की और एक सुतली एक सेफटी पिन जैसा सामान सौ रूपये का ये सब खरीद लिया । दो तीन प्लास्टिक के बडे थैले मोंगे तो उसने खाली कटटे पकडा दिये ऐसे ही फ्री में ।
अब रात को आये तो सोने के अलावा काम नही था । 500 रूपये में कमरा साफ सुथरा और कपडे भी बिना सीलन के थे । नींद ठीक आयी और सुबह सवेरे मिश्रा जी मेरे उठने से पहले ही दो तीन चक्कर लगा आये और बोले कि देखो पानी नही आया । मैने बोला कि हमने भी पैसे कहां दिये हैं । थोडी देर में होटल का मालिक आया और बोला कि अगर आप उठ गये हों तो मै पानी खोल देता हूं गरम । पानी इस्तेमाल करना बर्बाद मत करना । हमने बोल दिया और पानी आ गया ।
मिश्रा जी नहा धोकर तैयार हुए और मैने सिर्फ कपडे बदले । दो दिन से पहने एक जोडी कपडे एक अलग पोलिथिन में रखे । मिश्रा जी रात सुतली इसलिये लाये थे कि कल तो मेरा बैग और टैंट उन्होने पायदान पर बांध दिया था आज वो दोनो स्लीपिंग बैग को भी पीछे बांध रहे थे ताकि उनके पास कोई सामान ना रहे । वैसे उनके पास जो बैग था वो या तो बीच में रखा जाता था या फिर पीछे । डिस्कवर 150 बाइक की सीट शायद भारत की बाइको में तो सबसे लम्बी है । मैने आपको बताया भी था कि श्रीनगर में ही रात हम तीन बंदे भी बैठे थे और सारा सामान भी था ।
बैग बांधकर हम डलगेट आ गये और उससे थोडी ही दूर चले कि मिश्रा जी बोले कि मुझे झील के फोटो लेने हैं । मैने बाइक एक चाय की दुकान पर रोक दी और चाय बनवा ली । मिश्रा जी भागकर गये और फोटो लेकर आये तब तक मै चाय मठठी खा पी रहा था । फिर मिश्रा जी ने भी चाय पी और वहीं पर एटीएम से पैसे निकाले । अब के बाद आगे एटीएम मिल भी सकता है और नही भी इसलिये यहीं से सही था ।
यहां से सोनमर्ग का रास्ता पकडा जो कि शहर के अंदर को भी जाया जा सकता है और डल झील का पूरा चक्कर काट के भी आप सोनमर्ग वाले रास्ते पर ही जाते हो । करीब 15 किलोमीटर डल झील के किनारे किनारे शालीमार बाग निशात बाग के सामने से होते हुए हम सोनमर्ग वाले रास्ते पर पहुंचे । इस बीच डल झील के कुछ बढिया फोटो कैद किये गये । जैसे ही शहर से आने वाले रास्ते से इस रास्ते का मिलन हुआ रास्ता छोटा और ट्रैफिक वाला हो गया । यहीं पर एक पैट्रोल पम्प से तेल की टंकी फुल करवा ली । अभी जरा सा आगे ही निकले थे कि बूंदाबांदी शुरू हो गयी । एक बडा सा पेड दिखा तो वहां पर बाइक रोक ली और पन्नी निकाल ली । आधी पन्नी को काटकर सैडल बैग पर लपेट दिया और सुतली से बांध दिया । अब वो उडेगी नही । आधी पन्नी मिश्रा जी के ओढने के काम आयेगी अगर बारिश ज्यादा हुई तो । मेरे पास पोंछू है और विंडशीटर मै पहने हूं । जैसे ही हम बारिश से लडने का इंतजाम करके चले एक किलोमीटर बाद ही बारिश बंद हो गयी ।
वैसे आज की पोस्ट में दो दिन का वृतांत शामिल है पर मै यहां पर खर्च 22 तारीख का ही दे रहा हूं ।दूसरे दिन का उधमपुर से श्रीनगर कुल 220 किलोमीटर चले
80 मोबिल आयल
500 पैट्रोल
40 चाय नमकीन
50 चाय केक आदि
100 पन्नी
150 खाना श्रीनगर रात को
150 राजमा चावल बगलिहार पर
100 चाकू रस्सी आदि
कुल 1170 मिश्रा जी 40 मनु 1130
मिश्रा जी नहा धोकर तैयार हुए और मैने सिर्फ कपडे बदले । दो दिन से पहने एक जोडी कपडे एक अलग पोलिथिन में रखे । मिश्रा जी रात सुतली इसलिये लाये थे कि कल तो मेरा बैग और टैंट उन्होने पायदान पर बांध दिया था आज वो दोनो स्लीपिंग बैग को भी पीछे बांध रहे थे ताकि उनके पास कोई सामान ना रहे । वैसे उनके पास जो बैग था वो या तो बीच में रखा जाता था या फिर पीछे । डिस्कवर 150 बाइक की सीट शायद भारत की बाइको में तो सबसे लम्बी है । मैने आपको बताया भी था कि श्रीनगर में ही रात हम तीन बंदे भी बैठे थे और सारा सामान भी था ।
बैग बांधकर हम डलगेट आ गये और उससे थोडी ही दूर चले कि मिश्रा जी बोले कि मुझे झील के फोटो लेने हैं । मैने बाइक एक चाय की दुकान पर रोक दी और चाय बनवा ली । मिश्रा जी भागकर गये और फोटो लेकर आये तब तक मै चाय मठठी खा पी रहा था । फिर मिश्रा जी ने भी चाय पी और वहीं पर एटीएम से पैसे निकाले । अब के बाद आगे एटीएम मिल भी सकता है और नही भी इसलिये यहीं से सही था ।
यहां से सोनमर्ग का रास्ता पकडा जो कि शहर के अंदर को भी जाया जा सकता है और डल झील का पूरा चक्कर काट के भी आप सोनमर्ग वाले रास्ते पर ही जाते हो । करीब 15 किलोमीटर डल झील के किनारे किनारे शालीमार बाग निशात बाग के सामने से होते हुए हम सोनमर्ग वाले रास्ते पर पहुंचे । इस बीच डल झील के कुछ बढिया फोटो कैद किये गये । जैसे ही शहर से आने वाले रास्ते से इस रास्ते का मिलन हुआ रास्ता छोटा और ट्रैफिक वाला हो गया । यहीं पर एक पैट्रोल पम्प से तेल की टंकी फुल करवा ली । अभी जरा सा आगे ही निकले थे कि बूंदाबांदी शुरू हो गयी । एक बडा सा पेड दिखा तो वहां पर बाइक रोक ली और पन्नी निकाल ली । आधी पन्नी को काटकर सैडल बैग पर लपेट दिया और सुतली से बांध दिया । अब वो उडेगी नही । आधी पन्नी मिश्रा जी के ओढने के काम आयेगी अगर बारिश ज्यादा हुई तो । मेरे पास पोंछू है और विंडशीटर मै पहने हूं । जैसे ही हम बारिश से लडने का इंतजाम करके चले एक किलोमीटर बाद ही बारिश बंद हो गयी ।
वैसे आज की पोस्ट में दो दिन का वृतांत शामिल है पर मै यहां पर खर्च 22 तारीख का ही दे रहा हूं ।दूसरे दिन का उधमपुर से श्रीनगर कुल 220 किलोमीटर चले
80 मोबिल आयल
500 पैट्रोल
40 चाय नमकीन
50 चाय केक आदि
100 पन्नी
150 खाना श्रीनगर रात को
150 राजमा चावल बगलिहार पर
100 चाकू रस्सी आदि
कुल 1170 मिश्रा जी 40 मनु 1130
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- Laddakh Bike travelogue , लददाख मोटरसाईकिल यात्रा वृतांत (साथी की तलाश )
- Laddakh Bike travelogue , लददाख मोटरसाईकिल यात्रा वृतांत (तैयारी )
श्रीनगर में कमरा |
श्रीनगर में कमरा |
सुबह बांधने की तैयारी |
Dal lake srinagar |
Dal lake srinagar |
Dal lake srinagar |
Dal lake srinagar |
Dal lake srinagar |
Dal lake srinagar |
Dal lake srinagar |
Dal lake srinagar |
Dal lake srinagar |
Hajrat bal masjid |
वैसे तो इस पेड की खोह बारिश से बचने को परफेक्ट है |
बारिश को तैयार |
रास्ते में एक नदी |
रास्ते में एक नदी |
सोनमर्ग की ओर |
सोनमर्ग की ओर |
सोनमर्ग की ओर |
मियां मजे ले रहे हो |
Beautiful photos. Mausam kaisa tha wahaan ka?
Deleteबढ़िया विवरण !
Deleteबढ़िया विवरण !
Deleteश्रीनगर में उथल पुथल नही थी क्या उस वक्त ?
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