भूमिका बनानी मुझे आती नही । मै अंडमान के बारे में इतना कुछ लिख चुका हूं कि भूमिका बनाने की जरूरत भी नही है । अंडमान की दस दिन की यात्रा पर ज...
भूमिका बनानी मुझे आती नही । मै अंडमान के बारे में इतना कुछ लिख चुका हूं कि भूमिका बनाने की जरूरत भी नही है । अंडमान की दस दिन की यात्रा पर जाने से पहले मैने काफी रिसर्च की और ब्लाग पढे । उन सबसे पढकर जो मैने अपना कार्यक्रम खुद बनाया और उसे सफलतापूर्वक पूरा भी किया । दस दिन तक हम तीन बंदे अंडमान घूमे और वो भी 27000 रूपये में । अंडमान तक आने जाने का खर्च हवाई यात्रा से तीनो का 33000 रूपये था । अर्थात 11000 रूपये में आना जाना और 9000 रूपये में घूमना खाना और ठहरना एक आदमी का टोटल 20 हजार रूपये ।
इस खर्च की गहराई मै आपको इस पोस्ट के अलावा किसी और में बताउंगा पर फिलहाल आज की पोस्ट मुझे इसलिये लिखनी पडी क्योंकि मेरे पास बहुत सारे मित्रो की काल और मैसेज आते हैं कि वो अंडमान जा रहे हैं और उन्हे अपना कार्यक्रम कैसे बनाना चाहिये । मै भी आज तक केवल अपनी यात्रा का वृतांत ही प्रकाशित करता हूं । मैने कभी नही सोचा कि यात्रा के अनुभवो पर भी लिखूं ताकि लोग उससे फायदा उठायें । वैसे मै यात्रा वृतांत में ही सब लिख देता हूं पर आजकल का जमाना इतना तेज है कि 60 पोस्ट पढने का धैर्य हर किसी में नही है वरना इतने इत्मीनान से तो घर बैठे ही घूम ले अंडमान को ।तो इस पोस्ट में मैने अपना कार्यक्रम लिखा है और उसके बाद मैने अंडमान में घूमे गये हर स्थान के बारे में कम से कम समय कितना चाहिये इसके बारे में बताया है । आप किस जगह को कितना समय देेंगें ये आपके उपर निर्भर करता है । अगर आपको जगह ज्यादा पसंद आ गयी तो आप ज्यादा देर भी रूक सकते हैं पर कम से कम कितना समय चाहिये ये बताने से आपको समय का मैनेजमैंट करने में मदद मिलेगी ऐसी मेरी सोच है । मैने जिन स्थानो के बारे में लिखा है उनके बारे में विस्तृत रूप से पढने के लिये मैने उन स्थानो के नाम के उपर लिंक भी बना दिये हैं आप पूरी पोस्ट वहां से पढ सकते हैं ।
खैर आज मै शुरू करता हूं कि आपका क्या कार्यक्रम होना चाहिये । इस सवाल को करते ही मेरा पलटवार प्रश्न होता है कि आपका कार्यक्रम कितने दिन का है । इसी जवाब पर उत्तर निर्भर करता है ।
दूसरा प्रश्न उनके लिये होता है जो ये प्रश्न पूछते हैं कि अंडमान में क्या क्या घूमना चाहिये । क्या क्या करना चाहिये । उनके लिये समय की बंदिश बहुत ज्यादा नही है । वे दस दिन भी रूक सकते हैं और पन्द्रह भी । उनके लिये जवाब भी बहुत विस्तृत होता है । उनकी क्या रूचि है और वे क्या चाहते हैं ये भी निर्भर करता है ।
अंडमान में घूमने के लिये 20 दिन भी कम हैं पर समय हर किसी को इतनी इजाजत नही देता । खासकर नौकरीपेशा और व्यापारी वर्ग को तो बिलकुल नही पहले मै आपके सामने अपना कार्यक्रम रख देता हूं जो कि दस दिन का था
पहला दिन — प्लेन से पोर्ट ब्लेयर आगमन 11 बजे दोपहर 2 बजे राजीव गांधी काम्पलैक्स और मरीना पार्क
4 बजे चिडिया टापू के लिये और 5 बजे पहुंचे और 6 बजे वापसी
दूसरा दिन — 7 बजे बस डिगलीपुर की , 11 बजे बारातांग पहुंचे , 1 बजे तक ट्रैक और गुफाऐं
1 बजे बस रंगत , 4 बजे रंगत , 5/30 बजे मैनग्रोव और बीच वाक और वापस होटल
तीसरा दिन — सुबह साढे 4 बजे रंगत के लिये बस , रंगत से आटो में बीच समेत कई जगहो का
भ्रमण करके 9 बजे तक वापस रंगत ,
बस से 11 बजे तक मायाबंदर , 1 घंटा भ्रमण के बाद 12 बजे बस डिगलीपुर के लिये
और 3 बजे डिगलीपुर आगमन ,
4 बजे तक कालीपुर और 5 बजे कालीपुर बीच भ्रमण और रात्रि विश्राम होटल में
चौथा दिन — साढे पांच बजे डिगलीपुर और टिकट बुक कराकर साढे दस बजे कालीपुर और
11 बजे से अंडमान की सबसे उंची चोटी सैडल पीक तक की ट्रैकिंग और वापिस अपने होटल में
पांचवा दिन — बस से पूरे दिन डिगलीपुर से पोर्ट ब्लेयर तक का सफर और होटल ढूंढकर विश्राम
छटवा दिन — पोर्ट ब्लेयर में लोकल भ्रमण जैसे — 6/30 बजे कार्बन कोव बीच , 7/30 बजे जोगर्स पार्क ,
8 बजे गांधी पार्क , 8/30 बजे चाथम आरा मिल , 10 बजे सेल्यूलर जेल 11/30 तक
और पोर्ट ब्लेयर से हैवलाक के लिये प्रस्थान
दोपहर 1/30 बजे बाद हैवलाक 4/30 बजे आगमन रात्रि विश्राम
सातवा दिन— राधानगर बीच , हैवलाक में एलीफेंटा बीच की ट्रैकिंग और हैवलाक के
अन्य बीच का भ्रमण रात्रि विश्राम हैवलाक
आठवा दिन — सुबह से दोपहर तक राधानगर बीच दोबारा , 2 बजे नील द्धीप के लिये प्रस्थान ,
4 बजे आगमन , दो बीच का भ्रमण और सूर्यास्त दर्शन रात्रि विश्राम
नौवां दिन — नील द्धीप में बीच पर सूर्योदय , कांच की नाव से भ्रमण । साढे आठ बजे फेरी पोर्ट ब्लेयर के लिये ,
11 बजे आगमन , 12 बजे रोस आइसलैंड के लिये फेरी , भ्रमण 3/30 बजे तक ,
4 बजे से 5 बजे तक समुद्रिका म्यूजियम और रात्रि विश्राम पोर्ट ब्लेयर अंडमान टील हाउस में
दसवां दिन — होटल से मांउट हैरियट पहाड तक और वहां से काला पत्थर तक ट्रैक
सुबह 7 बजे से 11 बजे तक वापस पोर्ट ब्लेयर , 12/30 बजे वंडूर के लिये प्रस्थान और
2 बजे आगमन वंडूर बीच पर और वहां से 5 बजे वापसी ।
ग्यारहवां दिन — दिल्ली के लिये प्रस्थान
तो सबसे पहली बात मेरे अनुभव से ये निकलकर आयी है कि अंडमान खूबसूरत है और जीवन में एक बार अवश्य घूमना चाहिये पर कुछ बाते ध्यान रखनी चाहियें । यहां इस पोस्ट में केवल कार्यक्रम बनाने से संबंधित ही सलाह है ।
आपका जितने भी दिन का कार्यक्रम हो उसमें सबसे पहले दूर की जगह को करो और अपनी वापसी के दिन या उससे पहले दिन को लोकल पोर्ट ब्लेयर में घूमने के लिये रखो । जैसे कि अगर आपका कार्यक्रम हमारी तरह डिगलीपुर तक जाने का है तो उसे सबसे पहले करिये । यदि आपका कार्यक्रम हैवलाक का है तो सबसे पहले हैवलाक जाईये और घूमकर आईये । हैवलाक के साथ नील द्धीप भी जाना है तो उसे हैवलाक से ही करिये । बार बार पोर्ट ब्लेयर आना और वहां से फिर नील जाना आपका समय खराब ही करेगा । तो हैवलाक से नील और नील से पोर्ट ब्लेयर जाना सर्वोत्त्म और पैसे के साथ साथ समय बचाने वाला है । आप इसका उल्टा भी कर सकते हैं । मान लिया कि आपको हैवलाक का टिकट उस तारीख में नही मिल रहा पर नील का मिल रहा है तो आप नील से हैवलाक और वहां से पोर्ट ब्लेयर का भी कार्यक्रम बना सकते हैं ।
दूसरी बात डिगलीपुर के संबंध में । यदि आपको डिगलीपुर तक जाना है तो याद रखिये कि डिगलीपुर तक जाने के लिये पोर्ट ब्लेयर से बस का ही विकल्प है और 400 किलोमीटर की दूरी को तय करने में पूरा दिन लगता है । इस बीच में दो बार बस को समुद्र को भी पार करना पडता है और जरावा आदिवासी क्षेत्र को भी । अर्थात दो दिन तो आने जाने के लिये ही चाहियें और 1 या दो दिन जो भी आप वहां पर बिताना चाहें वो आपकी इच्छा अनुसार है पर कम से कम 3 दिन तो चाहिये ही । कुछ लोग यहां पर जिक्र करते हैं कि डिगलीपुर से पोर्ट ब्लेयर और रंगत से सीधे हैवलाक के लिये फेरी मिलती है । डिगलीपुर से पोर्ट ब्लेयर की फेरी रात में ही चलती है और इस तरह से आपका एक दिन बच सकता है पर हमने जब इसके लिये पूछा तो निराशा हाथ लगी । ऐसा ही रंगत से हुआ और हैवलाक की फेरी तो छोडिये हमें जेटटी ही बंद मिली । वैसे हम आफ सीजन में गये थे अर्थात बरसात के मौसम में पर इन दोनो फेरियो के उपर अपना कार्यक्रम निश्चित ना करके चलें ये मेरी राय है क्योंकि इन फेरियो को रदद भी कर दिया जाता है समुद्र की स्थिति देखते हुए अथवा मौसम के उपर भले आपकी एडवांस बुकिंग हो रखी हो
यदि आप डिगलीपुर तक नही जाना चाहते तो अंडमान आने वाले लोगो के लिये सबसे बडा आर्कषण का केेन्द्र है जरावा आदिवासी । इनको देखने का मौका भाग्य से ही मिल सकता है पर उस भाग्य को आजमाने के लिये आपको इनके सुरक्षित क्षेत्र से होकर जाना पडेगा वहीं पर ये आपको दिखायी दे सकते हैं । आप इनको देखने के साथ साथ बारातांग तक जा सकते हैं जहां पर प्राकृतिक चूने पत्थर की गुफाऐं हैं । बारातांग में आपको स्पीड बोट मिलेगी जिससे आप एक किलोमीटर का ट्रैक करके गुफाओ तक जाओगे । ये पूरा कार्यक्रम एक दिन का है । अगर आपके पास एक दिन यहां के लिये है तो इसे अपने कार्यक्रम में जरूर शामिल करिये ।
अब बता हैवलाक की । हैवलाक बहुत ज्यादा बडा द्धीप नही है और हमने यहां पर 2 रात के लिये होटल बुक किया था पर हम एक दिन में ही उकता गये । हमारी बात में और पर्यटको में अंतर है तो पर्यटक जिन्हे बस आराम , मौजमस्ती या फिर हनीमून मनाने जाना है उनके लिये हैवलाक में दो दिन भी कम हैं । हमें इसलिये उकताहट हुई क्योंकि एक तो हम तीन छडे यानि सिंगल बंदे और उपर से वहां पर घूमने के लिये दो तीन बीच हैं जिन्हे आप कितनी बार देख सकते हो और कितनी देर । उनमें भी सबसे बढिया राधानगर बीच ही है जहां पर आप दो से लेकर पांच घंटे गुजार सकते हो बस । बाकी अपनी इच्छा पर है पर यदि आपकी फेरी सुबह सवेरे की है और आप हैवलाक 10 बजे तक पहुंच जाते हो तो अगले दिन शाम या दिन के 2 बजे की फेरी से नील निकल जाओ । पैसा कम खर्च होगा और आनंद भी पूरा मिलेगा ।
अब नील द्धीप के बारे में । ये हैवलाक से भी छोटा द्धीप है पर यहां पर व्यवसायिकता के नाम पर अभी कुछ नही है इसलिये ये आपको सच में पसंद आयेगा । आप हैवलाक के रिर्सोट और होटलो की लूटमार से अलग यहां पर सब कुछ नेचुरल पायेेंगें तो अगर आपके पास एक अतिरिक्त दिन हो और आपको शांति और सुंदरता में समय बिताना हो तो एक अतिरिक्त दिन हैवलाक की बजाय यहां पर दीजिये और अगर ज्यादा समय नही है तो एक रात्रि विश्राम काफी है । द्धीप को 3 घंटे में सारा घूमा जा सकता है
अब बात पोर्ट ब्लेयर के बारे में । पोर्ट ब्लेयर काफी बडा द्धीप है और कई घूमने लायक द्धीप इसके काफी आसपास हैं । उन आसपास वाले द्धीप में मै हैवलाक या नील की बात नही कर रहा । जितना भी समय हो उसे आप हमारे कार्यक्रम में दिये गये समय के अनुसार अपने स्थान तय कर सकते हैं । आप हमारे कार्यक्रम को पढकर अंदाजा लगा सकते हैं कि किस स्थान को कितना समय दिया गया । पोर्ट ब्लेयर में और उसके आस पास घूमने वाले स्थान नीचे लिखे गये हैं ।
चिडिया टापू पर आना जाना और सूर्यास्त देखना या घूमना 3 घंटे में हो जायेगा
राजीव गांधी कांम्पलैक्स और मरीना पार्क कम से कम एक घंटा
कार्बन कोव बीच कम से कम एक घंटा
जागर्स पार्क कम से कम घंटा
चाथम आरा मिल कम से कम दो घंटे
गांधी पार्क एक सामान्य जैसा पार्क है कम से कम एक घंटा
रोस आइसलैंड को घूमने के लिये दो से तीन घंटे कम से कम । लेकिन यहां पर घूमने के समय में फेरी का आने जाने का समय और शैडयूल अहम है ।
समुद्रिका म्यूजियम कम से कम एक घंटा
माउंट हैरियट के लिये पोर्ट ब्लेयर से जाना आना और घूमना आधा दिन और काला पत्थर तक की ट्रैकिंग करने में उससे भी ज्यादा समय लग सकता है ।
वंडूर बीच जाने में एक घंटा , आने में एक घंटा और दो घंटे कम से कम घूमने के लिये चाहिये । वंडूर बीच से जौली बाय वगैरा जाने में आधा दिन और मानकर चलिये
डिगलीपुर के लिये कम से कम 3 दिन चाहियें
बारातांग के लिये एक दिन
हैवलाक के लिये कम से कम एक रात्रि और दो दिन , एक जाने और एक आने का
नील द्धीप को एक रात्रि और अतिरिक्त दिन चाहिये यदि आप पोर्ट ब्लेयर से हैवलाक और हैवलाक से नील , नील से पोर्ट ब्लेयर का त्रिकोण बना रहे हों तो ।
इसके बाद पोर्ट ब्लेयर के आसपास के बीच और अन्य स्थानो के लिये समय आप खुद निर्धारित कर सकते हैं उपर लिखे समय के हिसाब से ।
तो आपका कार्यक्रम कितने दिन का है उसे सामने रखिये और जैसा कि मैने उपर लिखा उसके हिसाब से उन दिनो को परखिये । यदि फिर भी ना बने तो मुझे यहीं कमेंट में लिखिये मै आपकी मदद करने की पूरी कोशिश करूंगा । कोई सलाह , सुझाव हो तो उसका भी स्वागत है । मैने जिन स्थानो के बारे में लिखा है उनके बारे में विस्तृत रूप से पढने के लिये मैने उन स्थानो के नाम के उपर लिंक भी बना दिये हैं आप पूरी पोस्ट वहां से पढ सकते हैं ।
बहुत बढ़ियामनु भाई। बस अब ये जानना है कि अगर बरातांग में लाइमस्टोन गुफाएं न देखा जाय, तो डिगलीपुर वाली गुफाएं भी क्या उतनी ही अच्छी है बाद में देखने के लिए?
ReplyDeletebahut badhiya post bhai..
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (07-01-2017) को "पढ़ना-लिखना मजबूरी है" (चर्चा अंक-2577) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
नववर्ष 2017 की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
उपयोगी जानकारी और चित्र
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