चौंसठ योगिनी मंदिर पर तितलियो की फोटो खींचने का काम जारी था । पहले तो कमल सिंह बोर हो गया पर बाद में फोटो देखकर मेरा उत्साह बढाने लगा...
चौंसठ योगिनी मंदिर पर तितलियो की फोटो खींचने का काम जारी था । पहले तो कमल सिंह बोर हो गया पर बाद में फोटो देखकर मेरा उत्साह बढाने लगा । हमने काफी देर तक फोटो खींचे । तितलियां नाम ही चंचलता का प्रतीक है तो इतनी आसानी से एक जगह बैठती नही हैं । बहुत धैर्य लगता है उनके फोटो खींचने के लिये । फोटो खींचने के बाद मंदिर के बाहर का एक चक्कर लगाया और वापस चल पडे बाजार की ओर ।
धुंआधार अपने मूल स्वरूप में मिला नही था और पानी की इतनी मात्रा थी कि बोटिंग बंद हो रखी थी । ऐसे में हम यहां पर क्या कर सकते थे । हम जा ही रहे थे कि बारिश होने लगी । भागकर एक रैस्टोरेंट में घुस गये । जब तक बारिश बंद हुई तब तक हमने चाय नाश्ता किया । यहां पर कमरे का रेट पता किया तो लगा कि हम पहले जबलपुर में ना बुक कराते तो सारा दिन यहीं पर घूमते । जबलपुर में कमरा बुक कराने का नुकसान ये था कि अब हमें वहां पर वापस जाना ही था और जबलपुर में घूमने के लिये एक दिन का कोई फायदा नही है । एक दिन तो आपको भेडाघाट में ही चाहिये । यहां पर मार्बल राक्स बहुत प्रसिद्ध हैं और अभी हाल ही में यहां पर रितिक रोशन की फिल्म मोहनजोदाडो की शूटिंग भी इसी जगह हुई थी । फिल्म का सबसे पहला सीन है जिसमें रितिक मगरमच्छ को मारता है । वहां तक जाने के लिये यहां पर बोटिंग होती है । बारिश रूकने के बाद हम नीचे घाट पर गये तो वहां पर एक गाइड मिला जो हमें मार्बल रोक्स घुमाने की बात करने लगा । हमने उसे पूछा कि बोट तो है नही तो आप कैसे घुमाओगे तो उसने बताया कि सरकार ने पैदल रास्ता भी बनाया हुआ है पर उस पर गाइड के बिना नही जा सकते । तीन सौ रूपये मांग रहा था मैने मना कर दिया । हम घूमते रहे और तभी हमें एक साइड को कुछ पर्यटक जाते दिखे । एक छोटी सी गली में होकर जैसे ये लोग जा रहे थे ऐसे में मुझे आईडिया आया और हम भी उसी रास्ते को मुड गये । थोडी दूर आबादी में को चलने के बाद खुला रास्ता आ गया जो कि पक्का बना हुआ था और वहां पर किसी से पूछने की जरूरत ही नही थी । हालांकि दो जगह पर उस रास्ते पर पानी आया हुआ था और झील बन गयी थी । वहां पर पत्थरो के उपर से कूद कूद कर लोग जा रहे थे तो हम भी वहीं को निकल लिये । इस रास्ते से हम भेडाघाट के उसी जगह पहुंच गये जहां पर नाव से जाते हैं । उपर सामने पहाड से झरना गिर रहा था । यहां पर हमने काफी देर तक आनंद लिया । वैसे यहां सब जगह पत्थरो से भरी हैं । सरकारी रास्ता जहां पर खत्म होता है वहां से आगे जाने या फोटो खिंचाने के लिये बडे बडे पत्थरो पर चलना होता है जिन्हे देखकर कई लोग तो आगे गये ही नही ।
पर बरसात में हम इतना देख पाये हमें यही बहुत लग रहा था । ये रास्ता ऐसा बनाया गया है कि मार्बल के पहाडो में आप नर्मदा को पूरे घुमावदार तरीके से बहते हुए आराम से देख सकते हैं । एक दो जगह बैंच भी बनायी गयी हैं ताकि आप आराम से बैठे हुए देख सको नर्मदा जी को । हमने काफी समय यहां पर बिताया और उसके बाद वापस चल पडे । पूरा रास्ता मात्र 1 किलोमीटर का होगा पर इसे तय करने में ट्रैक जैसा मजा आया क्योंकि हरियाली और चढाई उतराई से इसमें रोमांच आ गया । नाव में पैसे खर्च करने से बढिया है इस रास्ते से मार्बल राक्स को देखना । वापसी में कमल भाई उसी जगह रूक गये जहां पर बरसात का पानी भरा था । हालांकि बरसात में पानी भर गया होगा पर अब शांत और रूका होने की वजह से साफ था । एक लोकल बंदे से पूछा कि यहां पर कितना गहरा होगा तो उसने बताया कि छोटी पहाडी के नीचे बहुत गहरा है । कमल भाई तो वहीं बैठ गये बोले यहां पर नहाउंगा और उस पहाडी के नीचे जाउंगा । मुझे तैरना नही आता है तो मैने मना किया कि मत जाओ । जिसे जो काम नही आता वो उसे करने से डरता है पर कमल भाई को तैरना आता है और उन्होने मेरी बात नही मानी और अपने पूरे कपडे उतारकर उस झील में कूद गये । मुझे यहां पर डर इसलिये भी था कि कोई पानी का जानवर ना हो और साथ ही अंदर पत्थर तो होने लाजिमी थे पर कमल सिंह को ना मानना था और ना माने ।
बाद में उन्होने मुझे पानी के अंदर शवासन करके दिखाया । पानी में वे ऐसे लेट गये जैसे कि बिस्तर पर हों और बडे मजे से बिना हाथ पैर हिलाये डुलाये तैरते रहे । मै और कमल सिंह ही वहां पर थे केवल इसलिये कमल सिंह नंगे ही नहा रहे थे । 😀😀😀😀😁😁काफी देर बाद हम यहां से चले और आटो में बैठकर वापस जबलपुर पहुंच गये । हमारा जबलपुर में मदन महल नाम की जगह को घूमने का इरादा था पर उसके बारे में होटल वाले ने बताया कि शाम को उन खंडहरो में जाना ठीक नही है । असामाजिक तत्वो का ठिकाना बन जाता है । हमने वहां पर जाने का इरादा त्याग दिया और कमल सिंह जी अपनी एक मित्र से मिलाने ले गये । हम मधुलिका जी के घर पहुंचे जो कि जबलपुर में ही रहती हैं और वहां पर उनके परिवार से मुलाकात की । बातो बातो में पता चला कि उनके पति बुलेट से कई रिकार्ड बनाने वाली यात्राऐं कर चुके हैं । काफी देर वहां पर रहने के बाद हम वापस अपने होटल आ गये । अब हमें सुबह खजुराहो जाने की तैयारी करनी थी । तो मिलते हैं अपने अगले पडाव खजुराहो में ।
mp tour-
इस एक ने मेरा दिल चुरा लिया |
विभिन्न मुद्राओ में पोज दिये |
और इनकी खूबसूरती और रंग भी देखने लायक थे |
इसीलिये इन्हे ज्यादा फुटेज मिली है |
कुछ और झेलिये |
उपर पहाडी से दिखता भेडाघाट और सामने की तरफ घाट हैं |
ये फुल जूम से , ये नावें पर्यटको के लिये नही हैं |
घाट पर जाने के लिये बना द्धार |
मार्बल राक्स |
आबादी से निकलने के बाद शुरू रास्ता ट्रैक जैसा |
जबलपुर में ट्रैक 😀 |
बांये हाथ की झील में ही नहाये कमल सिंह |
भेडाघाट मार्बल राक्स |
अगर पानी इतना ना हो तो इसमें नावे चलती हैं |
मछली पकडने का आनंद |
ये आपका मै 😍 |
एक और झेलिये 😎 |
हरियाली के साथ चिडिया फ्री मिलती हैं |
पूरे भेडाघाट का नजारा |
पूरे भेडाघाट का नजारा |
कमल कुमार सिंह को भी देख एक बार |
पागलपन की इंतिहा |
नारद और हैलीकाप्टर साथ साथ |
Hi Manu ji
ReplyDeleteएक ही लेखक की दो ताजातरीन और क्रमागत पोस्ट्स पढ़ने का आंनद कुछ और ही है क्यूँकि इसमें विस्मृतिलोप नही होता और न ही सन्दर्भों की कड़ियों को समझने में कोई मेहनत करनी होती है।
जबलपुर शहर और इसके निवासियों की अक्सर ही तारीफ़ सुनी है और आज आपकी पोस्ट भी इस पर पढ़ ली।
बेहद खूबसूरत स्थान है जिसका वर्णन आपने बड़े ही मनोयोग से किया है।
आप के अलावा कमल से भी मुझे मिलने का सौभाग्य हासिल हुआ है अतः उनकी फक्कड़ तबियत के स्वभाव से बखूबी वाकिफ हूँ। अतः जो कुछ भी आपने उनके क्रियाकलापों के बारे में लिखा, मुझे कुछ भी अस्वाभाविक नही अपितु आनंद ही आया 😊
फोटोज शानदार हैं, चाहे वो तितलियों के हों अथवा बरसाती खड्ड के... इसके लिए आपके प्रयासों और मेहनत को सलाम 💐💐
इस अंक के लिए धन्यवाद के साथ साथ अगले अंक की प्रतीक्षा में.....
बहुत बढ़िया पोस्ट मनु भाई....तितली के फोटोज ने तो समां बाँध दिया ....नारद के एक और गुण का पता चला..👍
ReplyDeleteबहुत बढ़िया पोस्ट मनु भाई....तितली के फोटोज ने तो समां बाँध दिया ....नारद के एक और गुण का पता चला..👍
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