श्रीनगर में रात को मना हो गयी कार्तिक स्वामी जाने के लिये । वहां जाने के लिये रूद्रप्रयाग और उसके आगे ट्रैक करके वापस आना जाना भी था...
श्रीनगर में रात को मना हो गयी कार्तिक स्वामी जाने के लिये । वहां जाने के लिये रूद्रप्रयाग और उसके आगे ट्रैक करके वापस आना जाना भी था । सभी को घर जाने की लगी थी क्योंकि ये सब बिना बताये हो गया था इसलिये हमने भी आज ये तय कर लिया कि घर की तरफ को वापस चलते हैं लेकिन उससे पहले मैने एक सुझाव दिया जिसे सबने मान लिया । श्रीनगर से एक रास्ता तो वापस जाने का वही था जिससे हम कल से आये थे । श्रीनगर से पौडी और वहां से कोटद्धार होकर मेरठ को । दूसरा रास्ता था श्रीनगर से देवप्रयाग और रिषीकेश होते हुए दिल्ली जाने का । इसी रास्ते में एक रास्ता बना दिया जो कि श्रीनगर से दस किलोमीटर आगे से कटता है । एक सुंदर जगह आती है रास्ते में जिसे मलेथा कहते हैं । यहां से एक रास्ता उपर की ओर जा रहा है इसे मलेथा पीपलडाली टिहरी रोड कहते हैं । मुझे मेरे एक जानने वाले ने यहां पर बताया था कि यहां जमीन मिल जायेगी बहुत सस्ती । मै एक दोस्त के साथ यहां उसकी ससुराल में आया था कुछ दिन पहले ही । इसी रोड पर पौखाल के पास मंगरौ गांव है जिसमें मेरे दोस्त की ससुराल है ।
हमने एक दिन यहां पर बिताया और उसके बाद ये जगह घूमकर देखी तो बहुत सुंदर अहसास हुआ । यहां केवल 1300 से 1500 मीटर की उंचाई पर सुंदर चीड के जंगल , झरने और हरी भरी वादिया देखकर अहसास हुआ कि काश यहां पर जमीन मिल जाये एक या दो नाली तो कितना बढिया रहे । ये जगह पर आने जाने के साधनो की कमी नही है । रोड बढिया है पानी की कमी नही है और नेटवर्क से लेकर सब चीज हैं । यहां की खेती देखोगे तो चौंक जाओगे पर इन सब के बावजूद ये जगह उपेक्षित है क्योंकि यहां पर्यटन नही है । कोई भी एक मंदिर या कोई ऐसी जगह अगर यहां पर होती तो लोग अपने आप रास्ते खोज लेते फिर तो । अभी हालत ये है कि यहां पर बाहर के लोग कम आते हैं इसलिये हो सकता है कि जमीन सस्ती हो । हालांकि इन सबमें भी ये बात जरूर हुई कि पहले जमीन के लिये हां करने वाले बंदे ने बाद में मना कर दी । पर इस सबके चक्कर में हम इस जगह को देखने के लिये जरूर आ गये । ये रास्ता पुराने समय में काफी प्रचलित था और आज भी इसे जाम से बचने के लिये इस्तेमाल किया जा सकता है । इस रास्ते पर आने का एक बडा फायदा है कि आप टिहरी झील को भी देखते हुए आ सकते हैं ।
मलेथा से कटने के बाद 25 किलोमीटर दूर पोखाल नाम की जगह आती है जो कि बढिया बाजार है और यहां पर नवोदय विद्यालय भी बने हैं । इसी से 2 किलोमीटर पहले मंगरौ गांव है । हम उस बंदे से मिले जिसने जमीन देने के लिये कहा था पर अब वो मना करने लगा कि मेरे भाई मना कर रहे हैं वरना साथी भी तैयार हो गये इस जगह की खूबसूरती देखकर । फिर हम इसी गांव के एक होटल पर बैठ गये और नाश्ता किया । इस होटल वाले से भी बात की तो उसने यहीं बताया कि कुछ दिन में बता देगा जमीन के बारे में ।
अब हमें यहां पर रूककर क्या करना था सो आगे की ओर चल दिये । यहां से पन्द्रह किलोमीटर दूर पीपलडाली का पुल आता है जो कि बहुत ही खूबसूरत लगता है । पुल के दूसरी तरफ घनसाली का एरिया पडता है । मै 2008 में जब गंगोत्री से केदारनाथ गया था तो ये पुल दिखायी दे रहा था । यहां पर फोटो खिंचाने जरूरी थे और इस पुल के पास ठेका भी है तो कमल सिंह उर्फ नारद को इसकी जरूरत भी थी । यहां टिहरी झील को देखते हुए हम जा रहे थे कि यहां पर रोप वे दिखायी दिया । ये रोप वे वैसे तो लोकल लोगो के लिये बनाया गया है जो कि झील के दूसरी तरफ रहते हैं और झील बन जाने की वजह से उन्हे 50 किलोमीटर का अतिरिक्त फेर लगाना पडता है । इस रोप वे में उनकी मोटरसाईकिल भी आ जाती हैं तो उनका समय बच जाता है । सबका मन बना कि इसमें घूम कर आते हैं तो हम भी सवार हो लिये । दूसरी तरफ घूमने के लिये कुछ भी नही है बस आप इस रोप वे झील के उपर गुजरने का आनंद ले सकते हैं फिर भी हमने यहां पर काफी समय बिताया । प्रेमी जोडो के लिये आदर्श स्थान है ना कोई कहने वाला ना सुनने वाला ।
मै थोडा आगे निकला तो यहां पर तितलियो की काफी भिन्न प्रजाति दिखायी दी और मै ऐसे मौके को कहां चूकने वाला था । साथी आवाज लगाते रहे ओर मै जानबूझकर अनसुना करता रहा जब तक कि मुझे ढूंढते हुए आ नही गये । यहां कुछ बढिया फोटो मिले तो यहां इस पोस्ट में रखने से रोक नही पाया । तितलियो के फोटो लेने में काफी धैर्य रखना पडता है इसलिये ये बडी मेहनत का फल हैं । रोप वे के इस साइड कैंटीन बनी हुई है जहां चाय वगैरा बस मिल जाता है । यहां से वापस चले तो झील पर वाटर स्पोर्टस का महोत्सव चल रहा था । हमने इस महोत्सव की भी कुछ बहार ली । यहां पर पर्यटको का तांता लगा हुआ था । भीड स्पीड बोट और अन्य खेलो का मजा ले रही थी ।हममें से कोई भी फालतू पैसे खर्च करने वाला नही था इसलिये हमारा यहां पर काम नही था सो कुछ फोटो लिये और आगे की ओर चल पडे । यहीं झील किनारे की जगह जहां पर खेलो और नाव आदि का इंतजाम होता है उसे कोटि कहते हैं । यहां से एक रास्ता जो कि थोडा पुराना सा है चंबा को जाता है नयी टिहरी के नीचे से और काफी छोटा है । इसी रास्ते को पकडकर हम शीघ्रता से रिषीकेश पहुंच गये और वहां पर भी हमने चीला नहर वाला रास्ता पकडा । चीला नहर और राजाजी नेशनल पार्क वाले रास्ते से गुजरना अपने आप में एक बढिया अनुभव था । इसके बाद हमारी ये यात्रा समाप्त हुई ।
आपको ये यात्रा और पोस्ट कैसी लगी अपनी राय से जरूर अवगत कराईयेगा
मंगरौ गांव में होटल पर नाश्ता |
पौखाल का एक नजारा |
टिहरी झील और मै |
टिहरी झील पर बना पीपलडाली पुल |
टिहरी झील एक और व्यू से |
हैलीकाप्टर शाट |
यातायात के नियमो का पालन करें |
झील में नौकायन |
टिहरी झील |
टिहरी झील पर रोप वे |
टिहरी झील पर रोप वे |
उतरने का स्थान |
दूसरी साइड वालो के 60 किलोमीटर बच जाते हैं और समय भी |
प्रेमी जोडो के लिये भी आदर्श जगह है |
सुंदर तितली |
सुंदर तितली |
सुंदर तितली |
सुंदर तितली |
सुंदर तितली |
सुंदर तितली |
सुंदर तितली |
सुंदर तितली |
सुंदर तितली |
सुंदर तितली |
टिहरी झील को निहारते हुए |
टिहरी झील को निहारते हुए |
टिहरी झील में वाटर स्पोर्टस |
टिहरी झील में वाटर स्पोर्टस |
टिहरी झील में वाटर स्पोर्टस |
एक मासूम और बहुत ही प्यारी बच्ची |
टिहरी झील |
चीला नहर |
राजाजी नेशनल पार्क में से गुजरते हुए |
राजाजी नेशनल पार्क में से गुजरते हुए |
Fabulous shots all!
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर फोटोग्राफी। शानदार क्लिक्स।
ReplyDeleteYaatra Niyamon ka paalan to kar lenge, lekin gaadi ki number plate nahi hai photo mein...
ReplyDelete😢😢😢😢
Deleteदो नाली मेरे लिए भी देख लेना। फोटो बहुत सुंदर है।
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