कपकोट से पिंडारी ग्लेशियर के लिये रास्ता नीचे को गया है जबकि उपर को नामिक ग्लेशियर के लिये । अब हमें यहां से खरकिया गांव तक जाना था जहां तक जाने के लिये सडक है और गाडी चली जाती है । कपकोट से 4 घंटे का रास्ता बताते हैं
सुबह के साढे 3 बजे हम काठगोदाम रेलवे स्टेशन पर पहुंच गये थे । यहां जाकर मिश्रा जी को फोन लगाया और पता किया कि कहां तक पहुंचे । पता चला कि मिश्रा जी किसी थकेली ट्रेन में सवार हो गये थे जो बैलगाडी की चाल से चल रही है । कल शाम के बैठे मिश्रा जी की ट्रेन के पहुंचने का समय था बरेली में सुबह के 5 बजे पर ये ट्रेन समय से 4 घंटे देरी से चल रही थी । इस हिसाब से मिश्रा जी सुबह के 9 बजे तक पहुंचेगें क्योंकि बरेली से हल्द्धानी के लिये बस भी एक घंटा लगा ही देगी । थोडे बहुत इंतजार का तो हमें पहले ही अंदेशा था इसलिये काठगोदाम रेलवे स्टेशन पर कार खडी करके तीनो लोग आराम करने की सोचने लगे थे । मैने तो गाडी में ही थोडी देर लेटने के लिये कह दिया । तिवारी जी और नेगी मैडम स्टेशन पर ही पसर गये । मै गाडी में लेट गया पर मुझे बमुश्किल एक घंटे नींद भी नही आयी । ट्रेन के आते ही भीड भाड और शोर ने मुझे जगा दिया । उधर हाल तो बाकी दोनो का भी था क्योंकि मच्छरो ने खूब प्रेमालाप किया और दो घंटे बाद वे भी बाहर आ चुके थे ।
अब दोबारा नींद भी तो नही आती ऐसे में और हम चाय पीने चले गये । बीच बीच में मिश्रा जी को काल करते और कोस लेते क्योंकि ऐसे में ना तो कहीं जा सकते थे और गाडी में भी आराम नही हो पा रहा था । इस बीच हमने कार में रखा सामान सही से लगाने में भी समय बिताया क्योंंकि टैंट , स्लीपिंग बैग और खाने के सामान के अलावा तीनो के रकसैक बैग थे कम से कम 50 लीटर वाले । इतना सामान एक आदमी की जगह से भी ज्यादा हो रहा था । रात को तो शशि मैडम पीछे अकेली बैठी थी पर अब मिश्रा जी को भी बैठना था तो सारे सामान को बीच में लगाया और दोनो तरफ दो आदमी के बैठने की जगह बनायी गयी । मै स्टेशन पर कजरिया मतलब गिरगिट के फोटो लेने में समय बिताने लगा । जैसे तैसे करके समय कट रहा था । रात को इतना बढिया सफर रहा और जो समय हमने रात के सफर में बचाया उसकी वाट लग रही थी । कई बार मिश्रा जी को धमकाने का मन करता पर दूसरे ही क्षण ख्याल आता कि ट्रैन लेट होने में उनकी क्या गलती है । जैसे तैसे करके साढे नौ बजे मिश्रा जी पहुंच गये और हमने तुरंत उन्हे गाडी में पैक किया और चल दिये । हमारा आज का सफर बहुत लम्बा था और सारा का सारा पहाडी सफर था इसलिये हमें जल्दी हो रही थी ।
समय तो नाश्ते का भी हो रहा था इसलिये भीमताल में गाडी को थोडा झील की तरफ घुमाकर हमने एक चाय की दुकान पर गाडी रोक दी । यहां अपने परांठे जो बचे हुए थे उन्हे चाय के साथ खाया और एक सेल्फी लेकर फिर से चल पडे । यहां से चलने के बाद कंगाली में आटा गीला होने वाली स्थिति आ गयी । एक तो हम लेट थे उपर से पता चला कि हाईवे पर मरम्मत के काम के चलते भुवाली से अल्मोडा जाने वाला रास्ता बीच में बंद कर दिया गया है और अल्मोडा जाने के लिये हमें रानीखेत होकर जाना पडेगा जिसमें हमें 30 किलोमीटर के लगभग और चक्कर लगाना पडेगा । हमारा आज का इरादा बेस तक पहुंचने के बाद 4 किलोमीटर का ट्रैक करके खाती गांव तक पहुंचने का था जो कि अब मुश्किल लग रहा था ।
हल्द्धानी से रानीखेत होकर बागेश्वर तक जाने में 250 किलोमीटर का सफर आज के दिन में था और वहां से कपकोट और कपकोट से 4 घंटे का सफर आगे बताया जा रहा था । इस हिसाब 13 घंटे का सफर बैठता । इस बीच मै गाडी चलाता रहा और तिवारी जी और मिश्रा जी ने हिसाब लगाया मैप पर कि हमें अल्मोडा जाने की जरूरत नही पडेगी और हम बागेश्वर के लिये सीधे निकलेंगें । हमने रानीखेत गोल्फ कोर्स पार किया और वहां से बिंता नाम की जगह के लिये मुड गये । यहां से हम बहुत दूर तक कर्णप्रयाग ग्वालदम थराली वाली रोड पर चलते रहे । बिंता से सोमेश्वर की रोड सिंगल और ज्यादा बढिया बनी हुई नही थी । हालांकि इस सडक पर ट्रैफिक भी नही था पर रोड बहुत छोटी और घुमावदार थी । हमने बीच में एक ढाबे पर रूककर फिर से चाय पी । मुझे अब दिन के 3 बजने तक काफी नींद आने लगी थी इसलिये दो बार मुंह धोया और चाय पीने के बाद काफी आराम मिला । सोमेश्वर पहुंचने के बाद दो रास्ते थे एक अल्मोडा होकर और दूसरा कौसानी गरूड बैजनाथ से होकर । अल्मोडा को तो हम पहले ही बाईपास कर आये थे तो दोबारा वहां जाने का कोई तुक नही था और कौसानी वाला भी उतना ही लम्बा पडना था । इसी बीच मैप एक और बिलकुल सीधा रास्ता दिखा रहा था जो कि बहुत ही छोटा था । जैसे हल्द्धानी से रानीखेत को घूमने के बावजूद अल्मोडा को बचा दिया उससे दोनो मैप लिये बैठे तिवारी जी और मिश्रा जी के हौंसले बुलंद थे और मुझे निर्देश मिला कि सीधे इसी रास्ते पर से गाडी लीजिये । सोमेश्वर से करीब दस किलोमीटर चलने के बाद ही अहसास हो गया कि हमने गलती कर दी है पर अब पीछे मुडना भी बहुत समय बर्बाद करना था । इस रास्ते को अभी बनाया जा रहा था और कई जगह तो बहुत बुरे तरीके से ड्राइव करके निकालना पडा । हमारे अलाव एक दो मैक्स ही मिली इस रास्ते पर , हां लेकिन रास्ता बहुत छोटा पडा और हम बागेश्वर पहुंच गये ।
पौने ग्यारह हम भीमताल से चले और डेढ बजे बिंता में थे । यहां से सोमेश्वर करीब 17 किलोमीटर था । सोमेश्वर घाटी बहुत सुंदर है और यहां हमने कुछ फोटो लिये । सोमेश्वर से बागेश्वर पहुंचने तक लगभग 4 बज गये थे । बागेश्वर से कपकोट के लिये बहुत ही रास्ता बहुत बढिया है और मुश्किल से आधा घंटा लगा कपकोट पहुंचने में । कपकोट पार करने के बाद 15 मिनट एक जगह रास्ता ब्लाक होने की वजह से इंतजार करना पडा । कपकोट से पिंडारी ग्लेशियर के लिये रास्ता नीचे को गया है जबकि उपर को नामिक ग्लेशियर के लिये । अब हमें यहां से खरकिया गांव तक जाना था जहां तक जाने के लिये सडक है और गाडी चली जाती है । कपकोट से 4 घंटे का रास्ता बताते हैं
इतना घोर कन्फयूजन आज तक नही हुआ जितना यहां पर हुआ । तिवारी जी ने हाल ही में एक ब्लाग पढा था जिसमें लिखा था कि कपकोट से खरकिया जाने के लिये दो रास्ते हैं जिनमें से एक छोटा है लेकिन बहुत खराब है और उस पर केवल मैक्स गाडी जा सकती हैं । दूसरा रास्ता लम्बा है लेकिन उस पर कोई भी गाडी जा सकती है । हमने इसी बात को कई गाडी वाले जो कि लेाकल थे उनसे पूछा और कई गांव वालो से । हर किसी ने हमें यही बताया कि आप लम्बे वाले रास्ते से जाओ क्योंकि आपकी गाडी छोटे रास्ते से नही जा सकती वो बहुत ही उबड खाबड है । इस बात से तिवारी जी की बात की पुष्टि हो रही थी लेकिन क्या करें कि सूरज मिश्रा अभी नवम्बर में ही पिंडारी होकर गये थे और वे मैक्स गाडी से गये तो उन्हे लगता था कि रास्ता ऐसा खराब नही है कि हमारी गाडी ना जा सके लेकिन मुश्किल से दो घंटे का है । इधर लम्बे वाले रास्ते को 4 घंटे का बताया जा रहा था और इस समय हमारे लिये समय बहुत महत्वपूर्ण हो चला था क्योंकि बारिश हल्की हल्की होनी शुरू हो गयी थी और शाम का समय तो हो ही रहा था ।
अजीब उलझन थी लेकिन कम से कम दस लोकल और गाडी वालो से पूछने के बाद हमने लम्बे रास्ते को ही चुना और उसी पर चल दिये । ये रास्ता मुनार से होकर जाता है । मिश्रा जी जिस रास्ते को गये थे वो करमी वाला रास्ता कहलाता है जबकि हम जिस रास्ते को जा रहे थे वो चौडा स्थल को होकर जाता है और रिखडी वाछम मार्ग कहलाता है । ये रास्ते खरकिया से करीब 15 किलोमीटर पहले एक ही जगह मिल जाते हैं । कपकोट से जो रास्ता करमी को जा रहा था वो कच्चा था जबकि सामने जाता रास्ता पक्की सडक देखकर भी मन गवाही दे रहा था कि यही ठीक होगा । करीब दस किलोमीटर चलने के बाद काफी खराब रास्ता शुरू हो गया क्योंकि ये सडक निर्माणधीन है और इस स्थिति में है कि यहां पर केवल डामर होने का कार्य शेष है । इसी वजह से सडक पर गिटटी पडी हुई थी जगह जगह और कई जगह गढढे भी थे । बीच में दस किलोमीटर सडक बनी हुई भी आयी और हमें लगा कि अब अच्छे दिन आ गये हैं लेकिन ऐसा नही हो पाया । अब कई जगह इतनी खतरनाक आयी कि गाडी नीचे से लग गयी और कई पत्थर उछलकर लग रहे थे गाडी के नीचे । यही नही इस रास्ते पर इतनी खतरनाक चढाई थी और उसमें जब मिटटी आ जाती तो गाडी को निकालना मुश्किल हो जाता ।
हमें पता नही था कि हम किस जगह पर हैं और यहां पर नेटवर्क काम नही कर रहा था । ऐसे में मेरा आफलाइन मैप आसम एंड बडा काम आया और कम से कम हमें किसी से पूछना नही पडा । वैसे पूछने के लिये कोई मिला भी नही क्योंकि शाम का समय था और बारिश काफी तेज हो गयी थी । बीच में एक जगह आती है चौडा स्थल जो कि एक धार पर स्थित है और माता का मंदिर है । क्या शानदार जगह है पर हम बारिश की वजह से रूक नही पाये । मै कभी दोबारा गया तो यहां पर समय बिताना पसंद करूंगा ।
लगातार बारिश की वजह से रास्ते पर कीचड हो गया था । करमी से आने वाले रास्ते पर हमें एक मैक्स मिली जिसमें सवार लोगो से हमने जब रास्ता पूछा तो उन्होने बताया कि हम करमी वाले रास्ते को भी आ सकते थे पर आगे एक जगह बहुत खराब है और वहां पर देख कर निकलना चाहिये । उन लोगो ने हमें सलाह भी दी कि आपकी गाडी छोटी है और आपको यहीं रूक जाना चाहिये आगे दिक्कत हो सकती है । हम थोडी दूर चले और बारिश और कीचड से भरी सडक सामने थी और भले पहाडी लोग अपनी गाडी को रोके खडे थे हमारी इंतजार में कि अगर हमारी गाडी फंसेगी तो वो निकलवा देंगे । गाडी में से सबको उतारने के बाद भी गाडी धंस गयी इतनी खतरनाक कीचड थी पर दोबारा से पहले गियर में कोशिश की तो थोडी सांप की तरह लहरे लेती हुई निकल ही गयी । इसके बाद हम फिर भी बारिश में लगातार अंदर से मेन शीशे को पोंछते हुए चलते ही रहे जब तक कि हम खरकिया नही पहुंच गये ।
24 घंटे पहले मै गाजियाबाद से गाडी लेकर चला था जिसमें 6 घंटे मैने गाडी बीच में नही चलायी लेकिन उन छह घंटे भी मैने आराम नही किया था । 600 किलोमीटर के लगभग गाडी चल चुकी थी और शुक्र था कि सब सही से हो गया था । आफलाइन मैप के कारण हम जान पाये कि हम सही जा रहे हैं और गांव में आने के बाद मिश्रा जी पहचान लिया कि हां यही गांव है । यहां पर एक दुकान खुली थी जिसमें हमने रूकने की बात की और खाने के लिये बस इतना ही हो पाया कि मैगी मिलेगी । मुझे बहुत थकान थी इसलिये मुझे तो खाने की भी इच्छा नही हो रही थी पर फिर भी रूकना पडा । मेरा इरादा बिलकुल साफ था कि मै ट्रैक पर नही जाउंगा यदि बारिश हुई तो । मेरे खर्राटे लेने की अफवाह के कारण अमित तिवारी ने मुझे दूसरे कमरे में सुलाया जबकि बाकी तीनो एक साथ सोये । रात को दो बार तिवारी जी चैक करने भी आये पर मेरे खर्राटे लेने की अफवाह झूठी पायी गयी ।
उफ क्या दिन था आज का , ऐसी ड्राइव और एडवेंचर जो मै शब्दो में सिर्फ लिख पाया हूं लेकिन सही से बयां नही कर सका । अच्छी बात ये थी कि चारो लोग अनुभवी थे और घबराने वाले नही थे और हंसते खिलखिलाते सब कर गये । ये ड्राइव हमेशा याद रहेगी क्योंकि अंधेर और बारिश के साथ साथ खराब सडक ने इसे खतरनाक बना दिया था । मेरे पैर में लगी चोट में दर्द बहुत बढ गया था और मेरा घुटना गाडी चलाते चलाते दर्द करने लगा था क्योंकि हम रोजमर्रा में इतने लम्बे समय तक गाडी नही चलाते हैं तो आदत नही होती है । ऐसे में मुझे मेरा ट्रैक करने का प्लान वैसे ही टूटता नजर आ रहा था । बस सब कुछ सुबह मौसम पर निर्भर था यदि बारिश होगी तो मै नही जाउंगा लेकिन ये पक्का था कि अमित भाई जरूर जायेंगें चाहे बारिश आये या तूफान ।
अगली सुबह कुछ अलसायी सी थी और मौसम बिलकुल साफ था । बारिश रूक गयी थी सुबह किसी समय और सामने की पहाडी पर ऐसा लग रहा था कि सूरज खिलेगा । अब तो चलना ही पडेगा हमने अपना सामान लगाया और चलने की तैयारी शुरू की । हम अपने कार्यक्रम से पीछे चल रहे थे क्योंकि कल ही हमें खरकिया से 4 किलोमीटर का ट्रैक करके खाती गांव तक जाना था ताकि आज खाती से ट्रैक करके 13 किलोमीटर द्धाली जा सकें । अब आज 4 किलोमीटर तो रूक नही सकते थे और खाती से द्धाली के बीच कहीं रूकने का साधन नही था तो आज हमें 17 किलोमीटर चलना ही पडेगा ।
Pindar Kafni trek-
Way to khati village |
Way to khati village |
child of khati village |
child of khati village |
lady of khati village |
Reasturent in the way of khati village |
Beautiful khati village |
Beautiful khati village |
Beautiful khati village |
Beautiful khati village |
शानदार मनु भाई।
ReplyDeleteअगले भाग का इंतजार रहेगा
आख़िरकार इतने लम्बे इन्तज़ार का फल मिला।
ReplyDeleteपर स्टेशन वाले गिरगिट का फ़ोटो तो डाला ही नहीं 😂
बारिश कीचड़ थकान के बाद भी आखिर आप सकुशल पोहच ही गए बहुत ही बढ़िया
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